Tuesday, June 23, 2015

'अपने अपने अजनबी' और वैयक्तिक यथार्थबोध




प्रस्तावना:  प्रस्तुत लेख अज्ञेय के उपन्यास 'अपने अपने अजनबी' के मूल्यांकन द्वारा हिन्दी साहित्य में वैयक्तिक यथार्थबोध के सिद्धांत की यथार्थवाद के परिपेक्ष्य में संभावनाएं खोजने का प्रयास करता है। यह लेख मेरे हिंदी साहित्य में एम. फिल. की उपाधि के लिए प्रस्तुत किए गए लघु-शोध प्रबंध पर आधारित रचना है।